No Confidence Motion क्या है? और क्या है इसके नियम जिसपर आज Lok Sabha में है चर्चा

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No Confidence Motion

‘No Confidence Motion’…कुछ दिनों में आपने इस शब्द को कई बार सुना होगा। वर्तमान में देश की राजनीति इसी पर घूमती नज़र आ रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगाई लोकसभा में ‘अविश्वास प्रस्ताव’ लेकर आए हैं, जिस पर आज यानि 10 अगस्त को चर्चा हुई और यह चर्चा अगले तीन दिनों तक चलेगी। जानिए कि ‘अविश्वास प्रस्ताव’ का मतलब क्या होता है और इसे लाने के नियम क्या होते हैं।


No Confidence Motion क्या है?

किसी विशेष मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी होती है, उस मुद्दे के संदर्भ में लोकसभा के सदस्य एक नोटिस जारी करते हैं। नोटिस जारी होने के बाद, लोकसभा के स्पीकर उसे सदन में पढ़ते हैं। इसके बाद, यदि 50 सदस्यों का समर्थन मिलता है, तो चर्चा आयोजित होती है और उसके परिणामस्वरूप वोटिंग भी होती है। चर्चा में विपक्ष आरोप उठाता है और सरकार उन आरोपों का जवाब देती है। इसके बाद, वोटिंग का आयोजन होता है। इसी प्रक्रिया को अविश्वास प्रस्ताव कहा जाता है।

अविश्वास प्रस्ताव कब लाया जाता है?


संविधान के अनुच्छेद-75 के अनुसार, सरकार अर्थात् प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रीपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह होती है। लोकसभा में जनता के प्रतिनिधियों की उपस्थिति होती है, इसलिए सरकार को उनके विश्वास पर निर्भरता होनी चाहिए। इस प्रकार, यदि किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार का सदन में विश्वास खो चुका है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकती है। उसके आधार से, लोकसभा के नियम 198(1) से 198(5) के अंतर्गत यह उल्लिखित है कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर के पास प्रस्तुत कर सकती है।

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अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कितने सांसदों की जरूरत होती है?

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के अंतर्गत लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को प्रस्तुत करने के लिए लगभग 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। यदि संसद में No Confidence Motion पेश किया जाता है और सदन के 51% सांसद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है और माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उसे पद से इस्ती फा देना होगा।सरकार को या तो सदन में विश्वास मत लाकर अपने बहुमत को साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद सरकार के खिलाफ बहुमत साबित करने का प्रयास कर सकता है।

क्यों No Confidence Motion ला रहा है विपक्ष?

विपक्ष को अच्छी तरह से पता है कि उसके पास संख्यागत बल नहीं है, लेकिन फिर भी वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर रहा है। दरअसल विपक्ष मणिपुर हिंसा के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही तय करने और इस हिंसा पर बहस करने की मांग कर रहा है। वह चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इस पर जवाब दें। इस वजह से विपक्षी गठबंधन INDIA के तरफ से कांग्रेस ने संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक नोटिस प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा कि सरकार द्वारा लोगों के प्रति भरोसा टूट रहा है। हम चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर कुछ विचार करें, लेकिन लेकिन वह बात ही नहीं सुनते.