बिहार में नियोजित शिक्षकों को मिल सकता है राज्यकर्मी का दर्जा, सीएम नीतीश कुमार ने दिया भरोसा

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बिहार के नियोजित शिक्षक

महागठबंधन के नेताओं के साथ, सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के नियोजित शिक्षकों के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित की, जिसमें बैठक लगभग पौने दो घंटे तक चली। बैठक के बाद, कांग्रेस नेता शकील अहमद ने बताया कि मीटिंग सकारात्मक रही और सीएम जल्द ही एक निर्णय लेंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को अपने आवास पर नियोजित शिक्षकों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए महागठबंधन के घटक दलों के नेताओं से मुलाकात की। पहली बार इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की मांगों पर विचार करने जरूरी कदम उठाने का संकेत दिया। बैठक से बाहर आने वाले नेताओं ने स्थिति को सकारात्मक बताया, लेकिन उन्होंने नतीजों के बारे में कोई निश्चित समय सीमा या विशेष जानकारी प्रदान नहीं की।

बिहार के नियोजित शिक्षक ने पिछले कुछ महीनों से प्रगतिशील तरीके से आंदोलन किया है। उन्होंने नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली के खिलाफ आवाज उठाई है। राज्य सरकार ने शिक्षकों की भर्ती को बीपीएससी के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। बीपीएससी के माध्यम से चयनित शिक्षकों को राज्यकर्मी की पदवी प्रदान की जाएगी। राज्य सरकार ने राज्यकर्मी का दर्जा हासिल करने के लिए बीपीएससी की परीक्षा की पास करने की शर्त रखी है। इसी के खिलाफ, नियोजित शिक्षकों ने आंदोलन आयोजित किया है।

शिक्षकों से ली जा सकती है विभागीय परीक्षा 

डॉ. शकील अहमद खान, जो बैठक में मौजूद थे और कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं, ने बताया कि कांग्रेस ने शिक्षकों की नियुक्ति को प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर करने के समर्थन में अपनी सहमति जताई है। स्कूलों में योग्य शिक्षकों की महत्वपूर्णता की आवश्यकता है, ताकि विद्यालयों में शैक्षिक गतिविधियों का सुरक्षित और प्रभावी माहौल बन सके। उन्होंने यह भी मान्यता दी कि इस मामले में किसी प्रकार की राजनीति का स्थान नहीं होना चाहिए।

डॉ. शकील अहमद खान ने बताया कि नियोजित शिक्षकों को सरकारी सेवक के रूप में दर्जादेने पर मुख्यमंत्री का सकारात्मक दृष्टिकोण दिखा। इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें अधिकारियों के साथ एक बैठक में शामिल हो रहे हैं। सरकारी सेवक के दर्जे की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण चरण है, और मुख्यमंत्री उन्हें अधिकारियों से चर्चा कर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता खोज रहे हैं। इससे राजकोष पर बोझ भी नहीं बढ़ेगा। बिहार में चार से पांच लाख शिक्षक हैं, और उनके हितों की चिंता सभी दलों और मुख्यमंत्री की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने खुद बैठक में यह बताया कि उन्होंने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान और सेवा शर्तों में कितना सुधार किया है।

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नियोजित शिक्षक संघ की क्या मांग है?

  • बिना किसी शर्त के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का मान्यता देने का प्रस्ताव
  • पुरानी डोमिसाइल नीति को बिहार में पुनरीक्षित करने की आवश्यकता
  • शिक्षकों को समान काम के समान वेतन की पुनर्विचार आवश्यक
  • सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू करे

शिक्षक संघ का अल्टीमेटम

शिक्षक नेता प्रमोद यादव और ब्रजनंदन ब्रजवासी ने कहा किया कि अब सिर्फ सकारात्मक चर्चा काफी नहीं होगी। हम आशा करते हैं कि सरकार 15 अगस्त तक कुछ मजबूत एलान करेगी, और इसके बाद हम राज्यव्यापी आंदोलन और प्रदर्शन की योजना तैयार करेंगे। आज हमें कुछ ठोस निर्णय की आशा थी, लेकिन यह नहीं हुआ।

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