मॉब लीचिंग भारत की सबसे बड़ी आपराधिक समस्याओं में से एक है। हाल के पिछले पांच-छह सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बहुत बड़ी संख्या में घटित हुई हैं इसी वजह से केंद्र सरकार ने आज बड़ा फैसला सुनाया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को संसद में आपराधिक कानूनों में बड़े बदलाव की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान करेगा। मॉब लिंचिंग के लिए न्यूनतम सात साल की जेल से लेकर मृत्युदंड तक की सज़ा होगी।
नये कानून में हत्या की परिभाषा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ प्रावधान जोड़ा गया है।
मॉब लीचिंग का नया प्रावधान
नए प्रावधान में कहा गया है कि जो कोई भी हत्या करेगा उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
“जब पांच या अधिक व्यक्तियों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या मृत्युदंड से दंडित किया जाएगा। आजीवन कारावास या किसी अवधि के लिए कारावास जो सात साल से कम नहीं होगा, और जुर्माना भी लगाया जाएगा,”
गृह मंत्री ने आज भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त करने और बदलने का प्रस्ताव रखा। अमित शाह ने कहा, नए विधेयकों के साथ, सरकार का लक्ष्य “न्याय, सजा नहीं” सुनिश्चित करना है।
कौन कौन से कानूनों का हुआ खात्मा
केंद्र सरकार ने आज भारतीय दंड संहिता जो 1860 में बनी, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, जो 1898 में बनी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, जो 1872 में बनी, को खत्म करने का फैसला किया।
देशद्रोह कानून में बदलाव
गृह मंत्री ने आगे घोषणा की कि राजद्रोह कानून “निरस्त कर दिया गया है”। प्रस्तावित कानून में “देशद्रोह” शब्द नहीं है। शाह ने कहा, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए इसे धारा 150 से बदल दिया गया है।
अमित शाह ने देशद्रोह की सजा में बदलाव का भी ऐलान किया। मौजूदा कानून के तहत, राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है। नए विधेयक के प्रावधानों में इसे तीन से सात साल की कैद में बदलने का प्रस्ताव है।
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