खुशखबरी! सहारा में फंसा 10 करोड़ लोगों का पैसा वापस मिलेग, अमित शाह ने लॉन्च किया ‘सहारा रिफंड पोर्टल’

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सहारा रिफंड

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज (मंगलवार) नई दिल्ली में ‘सहारा रिफंड पोर्टल’ का शुभारंभ किया। इस पोर्टल की शुरुआत अटल ऊर्जा भवन में हुआ है। इसके माध्यम से जिन सहारा इंडिया के निवेशकों को उनके निवेश की अवधि यानी समय सीमा पूरी हो चुकी है उन्हें पैसे वापस दिए जाएंगे। बता दें, सरकार ने 29 मार्च को घोषणा की थी कि सहारा समूह के करीब 10 करोड़ निवेशकों को नौ महीने के भीतर पैसे वापस मिल जाएंगे।

सहारा से रिफंड लेने के लिए निवेशकों को करना होगा ये काम

सहारा में पैसा निवेश करने वाले निवेशकों को पहले यह जांच करनी होगी कि उनका पैसा किस को-ऑपरेटिव में लगा हुआ है। इसके बाद वे अपने सभी दस्तावेज़ों को जुटाने होंगे। इस प्रक्रिया में सहारा के एजेंट की भूमिका क्या होगी, यह जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध होगी। सरकार के इस कदम से निवेशकों की पैसे वापसी को लेकर एक नई उम्मीद जागेगी। सहारा-सेबी फंड (Sahara-Sebi Fund) में 24,000 करोड़ रुपये जमा हैं, जो साल 2012 में बना था।

सहारा को-ऑपरेटिव सोसाइटी 

  • सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड
  • सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड
  • हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड
  • स्टार्स मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड

सहारा इंडिया में फंसे हुए लाखों निवेशकों के करोड़ों रुपये, वापस नहीं मिलने से मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उन्हें निवेश की रकम का इंतजार करना पड़ रहा है। सहारा इंडिया की मैच्योरिटी पूरी होने के बावजूद, वापसी अभी तक नहीं हो पा रही है। निवेशकों ने इस मुद्दे को लेकर कई बार आंदोलन भी किया है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है।

सहारा इंडिया में सबसे अधिक निवेशक बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश से हैं। कुछ लोगों ने अपनी सारी गाढ़ी कमाई को सहारा इंडिया में जमा कर दिया था, लेकिन अब वे दर-दर भटक रहे हैं। निवेश की अवधि पूरी होने के बाद भी पैसे वापस न मिलने से कई राज्यों में निवेशकों का गुस्सा फूट रहा है।

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सहारा-सेबी विवाद

सहारा का ये विवाद साल 2009 का है। जब सहारा हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन ने अपने आईपीओ के लिए प्रस्ताव रखा। आईपीओ आगमन के आने से ही गड़बड़ियों का पर्दाफ़ाश होने लगा। सेबी के सामने यह बात सामने आई कि सहारा ने गलत तरीके से 24,000 करोड़ रुपये की कम ज़मा कराई थी। इसके बाद जाँच शुरू हुई और सेबी ने अनियमितता का पता लगाया। उसके बाद सेबी ने सहारा से निवेशकों के पैसे, ब्याज सहित, वापस लौटाने की माँग की। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसके बाद मामला और उलझता चला गया।

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