क्या आपने कभी सोचा है कि कोलकाता से बैंकॉक तक की यात्रा आप कार से कर सकते हैं? अगर नहीं, तो आपके लिए यह अब संभव होने जा रहा है। एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के लिए यह Kolkata Bangkok Highway की निर्माण की शुरुआत जल्द होने वाली है। पूरे एशिया में, यह हाईवे सबसे अनोखा होने वाला है। इस हाईवे से दो बड़े एशियाई शहरों का संपर्क होगा। भारत और थाईलैंड के बीच इसकी निर्माण से दोस्ती और गहरी होने वाली है।
बीमस्टेक, जिसे बंगाल की आवागमन पहल कहा जाता है, विभिन्न क्षेत्रों के प्राविधिक और आर्थिक सहकार संघ (मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल और आर्थिक सहयोग की पहल) की बैठक में, थाईलैंड, म्यांमार और भारत के प्रतिनिधियों ने बताया है कि कोलकाता से बैंकॉक रोड के बीच यात्रा चार साल के भीतर आसान हो जाएगी। राष्ट्रीय मार्ग के भारतीय और थाईलैंडी भागों पर अधिकांश काम पूरा हो चुका है।
कोलकाता से बैंकॉक की दूरी कितनी है?
कोलकाता और बैंकॉक के बीच की दूरी 2400 किलोमीटर है। थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के मंत्री बिजाभट इजाराभक्ति ने बताया कि उनके देश में इस रास्ते का एक हिस्सा बनाया गया है और म्यांमार जब भी उसका निर्माण होगा, वे अपना योगदान देंगे। कोलकाता में भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम में म्यांमार के वाणिज्य मंत्री आंग टोंग वू ने बताया कि उनके देश की ओर से इस काम को पूरा करने में तीन से चार साल लगेंगे।
राजमार्ग में कौन-कौन स्थानों को कवर किया जाएगा?
Kolkata Bangkok Highway त्रिसंधीय राष्ट्रीय मार्ग कोलकाता में शुरू होकर सिलीगुड़ी तक जाता है और वहां से पूर्व की ओर मुड़ता है। आगे बढ़ते हुए, यह बंगाल से बाहर निकलेगा और श्रीरामपुर सीमा के माध्यम से असम में प्रवेश करेगा। इस दौरान उत्तर बंगाल का दोआर्स क्षेत्र भी कवर किया जाएगा। यह राष्ट्रीय मार्ग दीमापुर से नागालैंड में प्रवेश करने के लिए असम में पूर्वी दिशा के क्षेत्रों को भी कवर करेगा। यह राष्ट्रीय मार्ग थाईलैंड, म्यांमार और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण संयोजन स्थापित करेगा। इस मार्ग से यात्रा करके लोग अपनी पसंदीदा स्थानों को आसानी से पहुंच सकेंगे और उन्हें अद्वितीय साहसिक अनुभव प्राप्त होगा। भारतीय और थाईलैंडी यात्री इस मार्ग का आनंद लेने के लिए उत्साहित हैं और इससे दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती बढ़ाने का भी मौका मिलेगा।
2002 में आया था प्रस्ताव त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना को पहली बार अप्रैल 2002 में म्यांमार में भारत, म्यांमार और थाईलैंड की एक मंत्रिस्तरीय बैठक में प्रस्तावित और स्वीकृत किया गया था। इस प्रस्ताव को उस समय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा पेश किया गया था।
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग बनने से क्या बदलेगा?
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना भारत की महत्वाकांक्षी ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह परियोजना भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इस मार्ग के माध्यम से व्यापार, वाणिज्यिक गतिविधियों, और पर्यटन में बढ़ोतरी होगी, जो दोनों राष्ट्रों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूती देगी। इसके साथ ही, इस परियोजना से सामरिक और्थिक और राजनीतिक सहयोग भी मजबूत होगा। भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग से संचार का बंधन मजबूत होगा, जिससे दोनों देशों के लोग और व्यापारिक संगठन एक दूसरे के साथ और अधिक संबंध बना सकेंगे। इस परियोजना से सामरिक और सांस्कृतिक आपसी तालमेल को बढ़ावा मिलेगा, जिससे दोनों राष्ट्रों के बीच गहरी दोस्ती और समझौता मजबूत होगा।
रास्ता और पुल कितना लंबा होगा?
यह पूरा त्रिपक्षीय राजमार्ग लगभग 2,800 किलोमीटर का होगा। इसमें थाईलैंड में सबसे छोटा ट्रैक होगा, हालांकि इसका सबसे लंबा अंश भारत में स्थित होगा। यह राजमार्ग बैंकाक से शुरू होगा और सुखोथाई, माई सॉट, मांडले, यांगून, कलेवा और तामू जैसे स्थानों से गुजरेगा। भारत में यह कोहिमा, मोरेह, श्रीरामपुर, गुवाहाटी, कोलकाता और सिलीगुड़ी से होकर गुजरेगा।
Kolkata Bangkok Highway सामरिक दृष्टिकोण से, विशेष रूप से चीन को ध्यान में रखते हुए, भारत के पड़ोसी देशों जैसे म्यांमार और थाईलैंड के साथ संबंधों को सुधारने में मदद मिलेगी। इस परियोजना से पूर्वोत्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार होगा।