जन औषधि केंद्र योजना की शुरुआत एक नियत उद्देश्य से हुई थी। दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई जनसंख्या से बेरोजगारी दुगुनी गति से बढ़ रही है। सरकारी नौकरियों में भी कमी आ रही है तथा बेरोजगारी के फलस्वरुप गांव के युवा दूसरे राज्य और शहरों में जाकर रहने और नौकरी करने को मजबूर हैं।
इसी बात को ध्यान में रखकर मोदी सरकार ने जन औषधि योजना की शुरुआत की और इसके तहत जन औषधि केंद्र की स्थापना का प्रावधान रखना हालांकि इसके लिए आपको कुछ कार्य करने पड़ेगें जो निम्नवत हैं।
जन औषधि केंद्र योजना की शुरुआत
इस योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको बढ़ावा देने के लिए मार्च 2024 तक इन केंद्रों की संख्या को देश भर में 10,000 से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा है।
जन औषधि केंद्र योजना के उद्देश्य
इस योजना की शुरुआत बेरोजगारों को रोजगार दिलाने तथा देश में बढ़ती जनसंख्या और घटते मेडिकल ढांचे को मजबूत करने हेतु हुई थी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टर और मेडिकल स्टोर की कमी के कारण गरीब ग्रामीणों को शहरों में महंगी महंगी दवाइयां लेने जाना पड़ता है। इस योजना की शुरुआत थी गरीब ग्रामीणों को सस्ती दवाएं देने के उद्देश्य से हुई थी।
आवश्यक दस्तावेज एवं योग्यता
सरकार ने इस योजना की शुरुआत में ही यात्रा कर दिया था कि जन औषधि केंद्र की स्थापना वही लोग कर सकते हैं जिनके पास रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस है।
सरकार ने जन औषधि केंद्र को खोलने की योग्यता के लिए तीन श्रेणियां की व्यवस्था की है पहली श्रेणी में बेरोजगार फार्मासिस्ट, मेडिकल प्रैक्टिशनर या डॉक्टर है तथा दूसरी श्रेणी में एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल और कोई पंजीकृत ट्रस्ट है तो वहीं तीसरी श्रेणी में राज्य सरकार द्वारा नामित एजेंसियां हैं।
सरकारी अनुदान और कमाई
जन औषधि केंद्र की स्थापना के लिए सरकारी अनुदान सिर्फ एससी/एसटी और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए है सरकार शुरुआत में इन श्रेणी के लोगों को ₹50000 की दवाएं देगी। इसके अलावा फर्नीचर व अन्य सामग्रियों के लिए सरकार ढाई लाख से लेकर 2.75 लाख का अनुदान देगी।
कंप्यूटर तथा प्रिंटर सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी के लिए भी सरकार कुछ अनुदान देगी।
रही बात कमाई की तो इन केंद्रों की स्थापना करने वाले को सरकार दावों की बिक्री पर 20% का कमीशन देती है तो वही हर महीने 15% का प्रोत्साहन दिया जाता है।
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