उपवास यानी फास्टिंग जो सदियों से हमारी संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा रहा है, आजकल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अपनी अहमियत बढ़ा रहा है। अगर हम इसके विभिन्न पहलुओं पर गहराई से गौर करें, तो हम देखेंगे कि फास्टिंग से हमें कई तरह के फायदे हो सकते हैं। नियमित तौर पर फास्टिंग करने से वजन कम करने से ले कर दिल से जुड़ी समस्याओं से बच सकते हैं। इससे मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है।
फास्टिंग के फायदे
- वजन वजन कम करने में मददगार
उपवास करने से शरीर को विश्राम मिलता है और खाने की अवधि में नियंत्रण रहता है। इससे अतिरिक्त कैलोरी का सेवन रुकता है और शरीर उपर रखी गई चर्बी को उपयोग करने की प्रक्रिया में जुट जाता है। यह वजन कम करने में मदद करता है जिससे चर्बी कम होना शुरू हो जाता है।
- पाचन तंत्र को आराम:
उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और खाने के प्रति अवधि कम होती है। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है और खाने की प्रक्रिया अच्छे से होती है।
- इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार:
उपवास करने से शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार हो सकता है, जिससे रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। यह डायबिटीज और प्री-डायबिटीक स्थितियों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है।
- स्वास्थ्यपूर्ण रक्तचाप:
उपवास करने से शरीर का शांति और आत्म-नियंत्रण बढ़ता है, जिससे रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है और हृदय स्वास्थ्य को सुधार सकता है।
- इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक:
फास्टिंग के प्रभाव से इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है। जब शरीर में लंबे समय तक भोजन की कमी होती है, तो एनर्जी बचाने के लिए इस प्रक्रिया से इम्यून सेल्स को पुनः उत्पन्न किया जाता है, जिससे आपकी रोग प्रतिरक्षा में सुधार होता है।
- हृदय रोग के खतरे को कम करता है:
कुछ दिनों के गैप में रुक-रुक कर फास्टिंग करने से हृदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।
- शरीर की डिटॉक्सिफिकेशन:
उपवास रखने से शरीर की डिटॉक्सिफिकेशन होती है। फास्टिंग के प्रभाव से शरीर में जमी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
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उपवास में क्या खाना चाहिए
- फल: उपवास में फलों का सेवन करें, जैसे कि केला, सेब, अनार, खरबूजा, तरबूज आदि। ये आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं और खासतर सारे फल आपके शरीर की तरलता बनाए रखने में मदद करते हैं।
- व्रत की रोटी: व्रत की रोटी बनाने के लिए सिंघाड़ा आटा, कुट्टू का आटा, साबूदाना आदि का इस्तेमाल करें।
- साबूदाना खिचड़ी: साबूदाना, आलू और अरारोट का मिश्रण बनाकर खिचड़ी बनाएं। यह एक पौष्टिक और सत्त्वप्रद विकल्प हो सकता है।
- सिंघाड़े के पकोड़े: सिंघाड़े का आटा बनाकर पकोड़े बना सकते हैं।
- फलों की लस्सी: दही और उपवासी फलों को ब्लेंड करके लस्सी बना सकते हैं।
- अचार: उपवासी अचार में सिंघाड़े का आचार, व्रत की अमली अचार, तोमैटो अचार आदि शामिल कर सकते हैं।
- दूध, दही और पनीर: ये सभी व्रत में सेवन करने के योग्य होते हैं।
- फलीहारी खाने: मूंगफली, चारा, मखाने, सबूत अनाज आदि उपवासी खानों में शामिल किए जा सकते हैं।