दिवाली भी हर साल की तरह इस बार भी हँसी खुशी के साथ आ गई है। Dhanteras 2023 kab hai, यह सभी का सवाल रहता है, क्योंकि सबसे पहला त्योहार दिवाली के समय धनतेरस होता है। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की शुरुआत जो चुकी है।
इस दिन धन्वंतरि जयंती भी मांगी जाती है। और सभी फैक्ट्री और मिल मे पूजा का आयोजन हर साल किया जाता है। ऐसे मे शुभ मुहुर्त जान लेना आपके लिए सही रहेगा। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक धन्वंतरि जी आज के फाइन समुद्र मंथन से अमृत लेकर निकले थे।
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क्यूँ मनाई जाती है धनतेरस
यह त्योहार धन्वंतरि जी के जयंती रूप मे मनाया जाता है। इसलिए बर्तन भी इसीलिए खरीदे जाते है, क्योंकि अमृत लेकर वो आज के दिन समुद्र से प्रकट हुए थे। यह दीपावली के पूर्व की शुभ शुरुआत को दर्शाता है। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धनतेरस मनाई जाती है।
Dhanteras 2023 kab hai और शुभ मुहूर्त कब है
इस साल धनतेरस 10 नवंबर के दिन है। त्रयोदशी तिथि आज से दो दिन बाद ही है। उसके साथ-साथ 12: 35 से शुरू होकर यह 11 नवंबर के दोपहर 2 बजे तक रहेगी। वैसे धनतेरस की तिथि ओर प्रदोष काल मे पूजा की जाती हैं। इसलिए पूजा 10 नवंबर 2023 को ही की जाएगी।
धनतेरस प्रदोष काल
हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष ki त्रयोदशी मे प्रदोष काल 5:30 से शुरू है। इसके अलावा यह 8:08 परियोजनाओं खत्म होगा। एयर वृषभ काल भी संध्याकाल 5 बजकर 47 मिनट से शुरू है यह 7:34 पर खत्म होगा।
धनतेरस पर क्या खरीदे
धनतेरस के दिन आप बहुत सारी चीजे खरीद सकते है जोकि आपके लिए शुभ होगी। वैसे तो ऐसी चीजों की लंबी लाइन है लेकिन आपको शॉर्ट मे बता दिया जाएगा।
- धनतेरस पर जादू खरीदने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न हॉट है ऐसी मान्यता है।
- इसके अलावा आप किसी भी तरह के बर्तन खरीद सकते है।
- कुबेर यंत्र खरीदना भी अच्छा माना जाता है।
- आप चांदी की चीजे भी खरीद सकते हैं।
- इसके अलावा कोई वाहन और सोना खरीदना भी अच्छा माना जाता है।
धनतेरस पूजन विधि
धनतेरस मांग प्रदोष काल के दौरान पूजा की जाती हैं। उस दिन सुबह मुहूर्त मे आप कुबेर और धन्वंतरि जी की मूर्ति की प्रतिमा रखे और पूजन अर्चना करे। पूजा की विधि नीचे लिखी गयी है।
- कुबेर और धन्वंतरि के साथ-साथ लक्ष्मी और गणेश पूजन भी कीजिए।
- आपको अपनी पूजा उत्तर दिशा मे मूर्ति रखकर करनी होगी।
- सभी को तिलक लगाए और फूलों को अर्पित करें।
- आरती कीजिए और उसके बाद मिष्ठान का भोग लगाए।
- कुबेर मंत्र का जाप अवश्य करें।
- इसक अलावा धन्वंतरि स्त्रोत का भी पाठ करें।