चाँद के पार चलो..! अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने निकला चंद्रयान 3

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चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 अपनी 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा पर निकल चूका है। चंद्रमा पर पहुंचने में इसे करीब 42 दिन लगेंगे। LVM-3 रॉकेट ने इसे 179 किलोमीटर की ऊंचाई पर छोड़ दिया है। अब आगे की यात्रा चंद्रयान-3 खुद करेगा।


चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। 23-24 अगस्त के बीच, इसका चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास उतरने की योजना है। चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट ने 179 किलोमीटर ऊपर ले जाया है। इसके बाद चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में आगे की यात्रा के लिए प्रवेश करवाया गया। इस कार्य में रॉकेट को मात्र 16 मिनट लगे।

चंद्रयान 3

चंद्रयान-3 को इस बार LVM3 रॉकेट ने GTO (जीटीओ) ऑर्बिट में छोड़ा है, जो 170X36,500 किलोमीटर की कक्षा है। पिछली बार चंद्रयान-2 को 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था। इस बार चयन की गई कक्षा का उद्देश्य Chandrayaan को अधिक स्थिरता प्रदान करना है।

धरती और चंद्रमा के 5-5 चक्कर लगाएगा चंद्रयान-3

एक इसरो वैज्ञानिक ने बताया कि चंद्रयान-3 को 170X36,500 किलोमीटर वाली जियो सिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में रखने से चंद्रयान की ट्रैकिंग और ऑपरेशन आसान होगा। चंद्रयान-3 को धरती के चारों तरफ कम से कम पांच चक्कर लगाने होंगे, जहां हर चक्कर पहले वाले से ज्यादा बड़ा होगा। इसके लिए इंजन को ऑन करके यह कार्रवाई की जाएगी।

5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में जाएगा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 को ट्रांसलूनर इंसरशन (TLI) कमांड दिए जाएंगे, जिसके बाद यह सोलर ऑर्बिट पर यात्रा करेगा। TLI को 31 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद Chandrayan करीब पांच दिनों तक चंद्रमा की ओर यात्रा करेगा, जहां वह बाहरी कक्षा में स्थित होगा। हालांकि, तकनीकी समस्या के कारण इसमें समय में देरी हो सकती है।

चंद्रयान 3

23 अगस्‍त की शाम हो सकती है चंद्रयान की लैंडिंग

चंद्रयान-3 मिशन के निदेशक, पी वीरमुथुवेल, और इसरो प्रमुख, एस सोमनाथ ने एलवीएम3 एम 4 रॉकेट को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने पर अपनी खुशी व्यक्त की है। इसरो के प्रमुख, एस सोमनाथ ने इस सफल लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान3 ने अपनी चंद्रमा की यात्रा की शुरुआत कर दी है। 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे Chandrayaan की सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बनाई गई है।

लैंडर की ताकत, इंजन और लैंडिंग साइट का एरिया बढ़ाया गया

इस बार विक्रम लैंडर में चारों पैरों की ताकत बढ़ाई गई है और नए सेंसर्स और सोलर पैनल लगाए गए हैं। पिछले बार चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर x 500 मीटर था, जबकि इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर रखा गया है। इसके बार विक्रम लैंडर की तुलना में चन्द्रयान3 का लैंडर बड़े इलाके में उतर सकेगा।

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विक्रम लैंडर 96 मिलि सेकेंड्स में सुधारेगा गलतियां

विक्रम लैंडर के इंजन पिछले बार से ज्यादा ताकतवर हुए हैं और पिछले बार हुई गलतियों में से एक मुख्य कारण कैमरा था जो अंतिम चरण में एक्टिव हुआ था। इसलिए इस बार उसे भी सुधारा गया है। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स गलतियों को कम से कम करेंगे और उन्हें तत्काल सुधारेंगे। इन गलतियों को सुधारने के लिए विक्रम के पास 96 मिलीसेकंड का समय होगा। इसलिए इस बार विक्रम लैंडर में ज्यादा ट्रैकिंग, टेलिमेट्री और कमांड एंटीना लगाए गए हैं, यानी गलती की संभावना के बराबर हैं।

Chandrayaan-3 Launch LIVE: यहां देखें लाइव

ISRO ने शेयर किया लॉन्चिंग का वीडियो

यदि आप किसी कारणवश चंद्रयान के लॉन्चिंग का ऐतिहासिक पल देखने में असमर्थ हैं, तो आप वीडियो के माध्यम से इसे देख सकते हैं। इसरो ने इसके संबंध में एक वीडियो साझा किया है।

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