रांची की कंपनी HEC में बने लांच पैड और क्रेन की मदद से होगी ‘चंद्रयान 3’ की लांचिंग

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इसरो के मिशन ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण का इंतजार भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को है। यह मिशन चांद की सतह पर कई रहस्यों को खोलेगा। इस अभियान की महत्वपूर्णता को यह समझा जा सकता है कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश बन जाएगा जो चांद पर रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक करवाएगा।


चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण और उसकी सफलता का सभी को इंतजार है। चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। शुक्रवार (14 जुलाई 2023) को दोपहर 2:35 बजे इसका प्रक्षेपण होगा। इसके लिए कई कंपनियों ने विभिन्न कल-पुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति की है। झारखंड की राजधानी रांची में स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचइसी) ने इसके लिए आवश्यक लॉन्च पैड और सैटेलाइट को संभालने वाले क्रेन का निर्माण किया है। यह क्रेन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए एचइसी द्वारा बनाया गया है।

मिशन ‘चंद्रयान-3’ का लक्ष्य – रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग

चंद्रयान-2 मिशन के दौरान, अंतिम समय में लैंडर ‘विक्रम’ अपने पथ से भटक गया था और ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। अगर चंद्रयान-3 मिशन में सफल रहा, तो भारत भी अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। ये दोनों देशों ने चांद पर अपने रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफलता हासिल की है।

चंद्रयान 3

सैटेलाइट को एक जगह से दूसरी जगह लेजाता है मोबाइल लांचिंग पैड

सैटेलाइट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में मोबाइल लांचिंग पैड का उपयोग होता है। इसे “मोबाइल लांचिंग पैड” कहा जाता है। मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज एचइसी में दूसरा मोबाइल लांचिंग पैड भी तैयार हो रहा है। एचइसी के अलावा लार्सन एंड टब्रो (एलएंडटी) ने भी कई पुर्जों की आपूर्ति की है।

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चंद्रयान-3 मिशन के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू

देश के तीसरे चंद्र मिशन ‘Chandrayan-3’ के प्रक्षेपण की 25:30 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र में शुरू हो गई है। इसका लक्ष्य इस बार चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराना है। वर्ष 2019 में भारत ने ‘चंद्रयान-2’ को लॉन्च किया था, और उसी मिशन को आगे बढ़ाते हुए भारत ने मिशन ‘चंद्रयान-3’ भेजने का निश्चय किया है।

एलएंडटी डिफेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख एटी रामचंदानी तथा इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण, दोनों यह मानते हैं कि अंतरिक्ष क्षेत्र भारतीय उद्योग के लिए खुल रहा है। नंबी नारायण कहते हैं कि भारत प्रौद्योगिकी विकास में निजी भागीदारी को आमंत्रित कर रहा है। इससे इस क्षेत्र में और अधिक स्टार्टअपों की संभावना बढ़ गई है। वहीं, एलएंडटी के रामचंदानी कहते हैं कि हम भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में बड़ी भूमिका निभाने के लिए इसरो के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।